से मेरे ब्लॉग पे आये, मुझे अच्छा लगा.

Friday, July 17, 2009

कारगिल विजय दिवस के पावन अवसर पर भारत के वीर सपूतों को याद करते हुए....

















किसी का क़द बढा देना, किसी के क़द को कम कहना
हमें आता नहीं बेमोह्तरम को मोहतरम कहना
वतन की बात करते हो तो कुछ करके भी दिखलाओ
बहुत आसां है बंद कमरे में 'वन्दे मातरम्' कहना...!!


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6 comments:

  1. वाह.क्या बात कही... बहूत aasaan है कमरे में वन्दे मातरम कहना........... सलाम है उन वीरों को जिन्होंने अपने प्राण दिए

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  2. वाह.क्या बात कही... बहूत aasaan है कमरे में वन्दे मातरम कहना........... सलाम है उन वीरों को जिन्होंने अपने प्राण दिए

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  3. और लानत है ऐसी हक़ूमत पर जो उनकी चिताओं पर रोटियाँ सेक रही है...

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  4. bahut khub kaha aapne :)
    bahut hi aasan hai aisi hi bethe bethe vande matram kehna...

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  5. शुभम...अच्छा लिखा...सच्ची श्रद्धांजलि, करारा व्यंग्य...सचमुच बहुत आसां है बंद कमरे में वंदेमातरम कहना...बहुत मुश्किल है मग़र झूठे गिरगिटों को उनके सामने गिरगिट कहना...ये हिम्मत आप जैसे जोशीले नौजवान ही दिखा सकते हैं...असीम शुभकामनाएं.

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  6. Thanks Hardik, God bless..



    चंडी भाई - जोशीले नौजवान को और जोश दिलाने का शुक्रिया.. :)

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