से मेरे ब्लॉग पे आये, मुझे अच्छा लगा.

Sunday, March 29, 2009

सत्ता का रिएलिटी शो

शनिवार की रात है... कल छुट्टी है. इसीलिए देर से और देर तक सो सकता हूँ...सो नेपिएर में न्यूजीलैंड के हाथों भारत का बुरा हाल देखने के लिए टीवी ओंन किया ही था कि दिमाग़ की दही बन गयी. दरअसल टीवी SET MAX की बजाय N_TV पर सेट था और रात के पौने चार बजे भी वो ही मोहतरमा नज़र आ गयीं जिनसे तंग आकर 10 बजे टीवी ऑफ किया था. नहीं-नहीं इन मैडम या इनके चैनल से कोई personal problem नहीं है मुझे, वो तो कोई भी अख़बार उठा लो, या कोई भी न्यूज़ चैनल लगा लो... हर वक़्त सा रे गा मा पा, इंडियन आइडल या फिर लाफ्टर चैम्पियन देखने को मिलेगा.

आप कहेंगे न्यूज़ चैनलों पे सा रे गा मा पा, इंडियन आइडल और लाफ्टर चैम्पियन?? तो भईया ये सियासत का सा रे गा मा है!

सारी पार्टियाँ, सभी उम्मीदवार किसी रिएलिटी शो के participants लगते हैं. सपा की sale में मुलायम माल लगा है तो बसपा की माया की माया अपरम्पार.. कांग्रेसी के शो रूम में विदेसी माल; इटली की रानी है तो बीजेपी के पास रजा हिन्दुस्तानी-आडवाणी है.. और सारे के सारे अपना-अपना माल बेचने, अपना हुनर दिखाने में लगे हैं.. कोई गा के मांग रहा है, तो कोई नाच के, कोई पब्लिक को हँसा के, तो कोई sympathy gain करके. कांग्रेस ने 'जय हो' के rights ले लिए, तो बीजेपी ने उसकी जय हो का बैंड "भय हो" से बजा दिया. पहले अपना-अपना best performance दो, और फिर public से ज़ोरदार vote appeal!!

पर यहाँ एक बात समझने वाली है.. हर रियलिटी शो की एक सच्चाई होती है, कॉन्टेस्टेंट कोई भी जीते-हारे, चैनल ख़ूब पैसे बनाता है. उसी तरह चुनाव में चाहे कांग्रेस जीते या बीजेपी या फिर कोई तीसरा-चौथा-औथा-पौथा मोर्चा आये... कैसी भी खिचड़ी वाली सरकार बने, देश भाड़ में जाए, इन न्यूज़ चैनलों को सिर्फ़ पैसा बनाने से मतलब है. सारे दिन बेतुकी ख़बरें दिखाते हैं.

अमेरिका में जबसे ओबामा की सरकार आयी है, N_TV एक ही बात बोलता रहता है कि "जैसे अमेरिका में एक अश्वेत (Black) राष्ट्रपति बना है, क्या भारत में भी ऐसा ही कोई गरीब तबके का प्रधानमन्त्री बनेगा? जब वहाँ एक काला आ सकता है, तो यहाँ कोई पिछड़ी जाति का प्रधानमन्त्री क्यों नहीं?"

शर्म आनी चाहिए ऐसे चैनलों और ऐसे प्रोग्राम बनाने वालों को. मुद्दे कि न्यूज़ तो क्या दिखानी, जातिवाद फैला रहे हो? देश को Global Map पे सीना चौड़ा करके represent करने वाले नेता की बात तो क्या करना, ऊँची जाति और नीची जाति में लगे हो!!

24 घंटे फिजूल की बकवास दिखाने कि बजाय public को aware करो कि उनके एक-एक वोट की क्या अहमियत है, देश का youth और educated तबका जो अपना वोट इस्तेमाल नहीं करता, उन्हें जगाओ कि ये देश उनका है, इसे एक stable government देने के लिए वोट करें. उन्हें समझाओ कि election के बाद क्या होगा जब किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलेगा और मंत्रियों की ख़रीद-फ़रोख्त शुरू हो जायेगी!!

लेकिन नहीं, समझदारी की बात तो करनी ही नहीं है ना! क्योंकि जब किसी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलेगा, मंत्रियों की बोली लगेगी, तब हमारे इन मीडिया वालों को थोक के भाव में BREAKING NEWS मिला करेगी!! गरमा-गरम मसालेदार न्यूज़ परोसने का सामान तो तब ही मिलेगा जब तक देश में समस्याएं रहेंगी... तो भईया पब्लिक को समझदारी की बात बताकर, अपना धंधा क्यों चौपट करना.... यही तो है परदे के पीछे का रियलिटी शो, जय हो...!!

Saturday, March 28, 2009

उदासी के कारण

मैं उदास और परेशां
रहने के कारणों को
समझने-बूझने लगा हूँ..
इसीलिए अब पत्थरों
को छोड़
पत्थर दिल लोगों को
पूजने लगा हूँ..!!

Thursday, March 26, 2009

शुरुआत

कवि लाजपत राय जी की चार लाइनें उधार लेता हूँ -

"बराबर जब तराजू तोलती है,
भेद गहरे से गहरा खोलती है..
मेरी कलम तो वो आईना है,
ये जैसा देखती है वैसा बोलती है..!!"

मैं शुभम मंगला, profession से copywriter और passion से writer. मुझे लगता है रचनात्मकता समय के साथ परिवर्तित होती है...होनी भी चाहिए!! मेरी 'आवारा कलम' भी उसी रचनात्मकता की कड़ी है...कड़ी, जो समय के साथ ना सिर्फ परिवर्तित हो रही है, पर शायद परिपक्व भी हो रही है...

मेरे इस ब्लॉग पर शब्दों कि हाँडी धीमी आँच पे पकती रहेगी.. कभी कहानियों का हलवा तो कभी ग़ज़लों/कविताओं कि खीर परोसता रहूँगा.. बहुत ही सरल शब्दों में... ना गूढ़ हिंदी ना ही खालिस उर्दू... वों भाषा जो हम बोलचाल में इस्तेमाल करते हैं, ताकि खाने वालों का ज़ायका बना रहे...

चखने के बाद बताइयेगा ज़रूर कि क्या कमी रह गयी ताकि अगली बार बराबर मसालें डालूँ...!!

शुभ~कामनाओं सहित...
shubhAM