कहते हैं इंसान ग़लतियों का पुतला होता है. गुजिश्ता सालों में एक ग़लती मुझसे भी हो गयी.. पेट के लिए लिखने में इतना मसरूफ़ हो गया कि रूह के लिए लिखना ही भूल गया! खैर, देर आये दुरुस्त आये..!! इस साल अपनी दूसरी किताब "ज़िन्दगी चख ली" लिखकर अपनी ग़लती को सुधारने की कोशिश तो की है.. पर एक और उस ग़लती को कैसे सुधारुं जो पेट के लिये लिखते-लिखते मुझसे हो गयी..
मैं बात कर रहा हूँ कॉंग्रेस सरकार के लिये लिखे गये गाने "भारत निर्माण" की..!! भारत निर्माण का गाना लिखते वक़्त मुझे कतई इल्म नहीं था कि ये सरकार देश में इस तरह खुली लूट मचायेगी.. और जब-जब इनकी लूट के ख़िलाफ़ कोई आवाज़ उठेगी, ये सरकार भारत निर्माण के विज्ञापन चला-चला कर अपनी साफ़-सुथरी छवि दिखाकर लोगों को बरगालाएगी..
आज जब कभी टी.वी. पर भारत निर्माण का विज्ञापन देखता हूँ तो अफ़सोस होता है कि क्यूँ मैंने इनके लिये लिखा?? क्यूँ रातों को जाग-जाग के ऐसा म्युज़िक तैयार कराया?? क्यूँ एक-एक आलाप पे इतनी मेहनत की?? क्यूँ 40 डिग्री की तपती-सडती धूप में भाग-भाग के शूटिंग की??
जिस सरकार का हाथ आम आदमी के साथ होने का दावा करता था, आज वो सरकार आम आदमी से बहुत दूर होती जा रही है. आम आदमी को तो इस सरकार ने हाथ फैलाने पे मजबूर कर दिया है. आम आदमी को इस सरकार ने वास्तव में आम की तरह समझ लिया है... कभी काट के खाया तो कभी चूस लिया..!! भारत निर्माण के नाम पे इस सरकार ने भारत को दुनिया भर में बदनाम ही किया है..
भारत निर्माण Lyrics
दिल में उठा था इक अरमान
सबसे हसीं हो हिंदुस्तान
तरक्की की जो राह चुनी
उसे नाम दिया भारत निर्माण
हुआ स्कूल में दाखिल हर बच्चा,
सड़क बनी रस्ता कच्चा..
रोज़गार की लगी झड़ी,
हुयी रोशन राहें खड़ी-खड़ी..
माँ की ममता को मिला सुकून,
और पूरे परिवार को स्वाभिमान..
ऐसे हुआ भारत निर्माण..
ऐसे हुआ भारत निर्माण..
भारत निर्माण का सपना बुना, तरक्की हुयी कईं गुना..!!
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दोस्तों, ज़िन्दगी में "undo" बटन नहीं होता.. इसलिए मैं अपने लिखे को तो नहीं मिटा सकता, पर किसी के पास मेरी इस ग़लती को सुधारने का कोई तरीका या सुझाव हो तो प्लीज़ मुझे ज़रूर बताइयेगा...
शुभकामनाओं सहित सच्चे भारत निर्माण की उम्मीद में..
शुभम मंगला